NEELAM GUPTA

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वार्षिक लेखन प्रतियोगिता वृद्धावस्था

जिंदगी की शाम बनके।
आया है बुढ़ापा।
तजुर्बों की लाठी चार्ज करके ।
आया है बुढ़ापा।
जी ले अब तु मस्त जिंदगी।
सतरंगी सपने लाया है ।
वक़्त नहीं था तेरे पास।
अब वक्त ही वक़्त लाया है ।
दोस्तो के संग वक़्त बिता ।
खुब हस  हस तु पेट दुखा।
माना की शरीर में ।
नहीं बची वो ताकत ।
लेकिन अपने जज़्बातो से ।
दुनिया को जीत कर दिखा ।
सयानी सलाहों का ।
खजांची है बुढ़ापा।
दादा दादी नाना नानी ।
बनने का अरमान हैं बुढ़ापा।
कर चिन्तन भगवान का अपने।
ना किसी का बोझ बनना है।
इतना अपने लिए जोड़ कर।
जमा पूंजी रखना है।
ना बनना असहाय कभी भी।
मन में मर्म ये सहेजना है ।
समय के ढांचे में भी तुमको ।
कोशिश कर उतरना है।
आने वाली बुढ़ापे की।
तारीखों से हमको नहीं डरना हैं।
किसी का साथी तुमको बनना।
किसी का साथ पाना है।
परिवर्तन से ही परिवार में।
सामजंय बिठाना है।
इसी उत्साह वर्धन से।
स्पेशल समय बुढ़ापा ।
पार लगाना हैं। 
परिवार के प्रति प्यार की।
पहचान है बुढ़ापा।
हमारे दिये संस्कार का।
आईना है बुढ़ापा। 

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2 Comments

Seema Priyadarshini sahay

17-Feb-2022 05:38 PM

बहुत खूबसूरत

Reply

NEELAM GUPTA

17-Feb-2022 07:20 PM

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद जी

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